हर हर महादेव
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वासुकिनाग ओर शिवजी की एक कथा तो आपने सुनी ओर आज मे आपको अन्य दो कथा का उल्लेख करने वाला हु, तो आप सब अच्छे से सुनना,
आपको मे दूसरी ओर आज की पहली कथा का उल्लेख करने जा रहा हु,
दोस्तो ये कथा संन्द्रमंथन की है, जब रस्सी के रूप मे वासुकिनाग को ही मेरु पर्वत के चारोओर लपेटा गया, मंथन के बाद वासुकिनाग का पूरा शरीर खून से सन गया था।
फिर जब शिवजी को विष पीना पड़ा तब वासुकिनाग के साथ साथ बाकी सबी नाग ने भी शिवजी की मदद की ओर विष को ग्रहण किया। इस निस्वार्थ भक्ति को देख शिवजी ने वासुकिनाग को गले मे लपेटा था।
दोस्तो तीसरी कथा शिवजी ओर माता पार्वती के विवाह से जुड़ी है, कहा जाता है की शिवजी ओर माता पार्वती का विवाह होने वाला था तब सभी देवताओने शिवजी से कहा की प्रभु आप सिंगार करले। पर भगवान शिव का सिंगार तो कोई कर ही नही सकता, उनका सिंगार से कोई नाता ही नही था।
देवता के अनुरोध पर शिवजी ने अपने सिंगार की ज़िम्मेदारी सर्पो को दी तब वासुकिनाग स्वयं शिवजी के गले मे आभूसन की तरह लिपट गए।
वासुकिनाग को अपने प्रत्ये समर्पण देख शिवजी बेहत प्रसन्न हुए ओर फिर उन्होने विवाह के बाद वासुकिनाग को अपने गले मे ही रहने दिया।
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Disclaimer: आपको बता दु की यह कहानी मेने सुनी है जो आपको मे सुना रहा हु।
2 thoughts on “वासुकिनाग ओर शिवजी की कहानी”