शिव-शक्ति जी की ये कथा प्रचलित है, आपको एक बार जरूर पढ़नी चाहिए। , में ये कथा शुरू करता हु,
एक गाव मे निर्धन सा एक किसान रहता था, उसके दो बच्चे ओर एक पत्नी के साथ एक छोटे से मकान मे रहता था। बस उसकी यही छोटी सी दुनिया थी ओर छोटा सा संसार था। उसकी जमीन किसी शेठ के पास गिरवी पड़ी थी, ओर अब उसकी जमीन वापिस आ पाए वेसि उसको कोई आशा नहीं थी।
उस किसान का नाम ‘भोला’ था ओर “भोलेनाथ जी” का वो दास था। सोमवार को पूरे दिन वो उपवास रखता था।
दोनों पति-पत्नी किसी शेठ के खेत मे काम करके ओर अपने बच्चो का लालन-पालन करते थे। एक दिन वह भोला बड़ी ही तेज धूप मे खेत मे हर चला रहा था, उस दिन सोमवार था जिसके वजे से उसने उपवास रखा था ओर कुछ खाया-पिया भी नही था।
उसी वक्त खेतका शेठ बोला, अगर साम तक खेत का काम नही हुआ तो तुमहे कोई दाना-धन नही मिलेगा। उधर भोले का परिवार भूखा बेथा है ओर यहा शेठ कोई दाना देने को तैयार नही है।
शेठकी धमकी सुनकर भोले की अंतर आतमा काप उथी, अगर शेठ ने अनाज नही दिया तो मेरे बच्चे भरा क्या खाएँगे। यह सोच कर भोले ने तेज हर चलाना चालू किया, लेकिन तेज धूप ओर भूख के कारण भोले को चक्कर आजाते है ओर खेत मे गिर पड़ता है। सब देख के शेठ को गुस्सा आ जाता है ओर बोलता है की मेभी देखता हु की तू आज कहा से भोजन पाता है।
शेठ ने भोले को खेत जे बिचो-बीच छोड़ कर घर चले जाता है। घर पत्नी ओर बच्चे भूखे थे, बेहोसी के हालत मे भी भोले के मुह से “ॐ नमः शिवाय” लगातार निकर ता है। ओर अब
शिव-शक्ति वहा पर आते है भगवान का रूप त्याग कर मानव का रूप लेते है, बूढ़ी ओरत बनी पार्वती माँ ओर किसान बने भोलेनाथ। भोले का शिर गोद मे ले कर बेथ गए भोलेनाथ ओर पानी के छाते किए, फिर भोले ने आखे खोली ओर आश्चर्य से पूछा आप कोन यजमान मेने आपको पहेचाना नही।
भोलेनाथ बोलते है हम यात्रा कर रहे थे तुम्हें ऐसे देखा तो रुक गए। ओर आज की रात के लिए कोई जगह देख रहे थे, क्यूकी कल सुबह जल्दी प्रस्थान जो करना है। क्या तुम बस एक रात के लिए हमे अपने घर मे ठिकाना दे सकते हो।
भोला चिंता मे डूब जाता है तब पार्वती माँ बोली हम हमारे खानेका सामान साथ ले कर चलते है, बस तुम हमे रात्री के लिए तुम्हारे घर मे ठिकाना दे दो। भोला बोलता है जेसी आपकी इच्छा। ओर फिर हर ओर भेस को लेकर भोला घर आता है।
अजाने मे ही भोला शिव ओर गौरी को घर ले आता है। घर आ कर भोला अपनी पत्नी से बोलता है की ये मेरे महेमन है। भोले के मुख से ये शब्द सुन कर पत्नी हुई हेरान।
भोला की पत्नीने मन मे सोचा क्या हम इन महेमन को खाना खिलाएँगे की इन्हे हम भूखा ही सुराएंगे। तबी पार्वती माँ मुस्कुराइ ओर बोली रासन हम ले आए है तुम जल ले आओ।
भोले की पत्नी पानी ओर लकड़िया ले आती है ओर उन्हे दे देती है। पार्वती माँ ओर शिव जी रोटी, सब्जी, भात, दाल फटाफट तैयार करते है। पार्वती माँ पहले बच्चो को खिलाती है ओर फिर भोला की पत्नी को ओर भोले को भोलेनाथ स्वयं अपने हाथो से खिलाते है यह कह कर की रात हो चुकी है व्रत खोल दो।
माता पार्वती ओर शिवजी भी उनके साथ बेथ कर खाना खाते है। भोजन होने के बाद भोला माता पार्वती ओर भोलेनाथ की सोने की व्यवस्था करता है।
आधी रात जब बीत जाती है तब भगवान उथते है, पार्वती माँ के चहरे पर थी मधुर-मधुर मुस्कान। पार्वती माँ ओर शिवजी अपने अपने रूप मे आते है, ओर दोनों आशीर्वाद मे अपने हाथ उठाते है।
सारा घन-घान से भोलेका घर भर गाता है। बर्तन ओर सब सोना बन जाता है। फिर शिव-शक्ति दोनों अंतरध्यान हो जाते है।
अपने भोला भगत को भोलेनाथ बना गए धनवान।
तो बोलो शिव-शक्ति की जय जय जय!
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