भक्तो आज मे तुमारी, मेरी, हम सब की ” माँ ” की कहानी सुनाने वाला हु, तो आराम से ओर ध्यान से सुन्न ओर पढ़ना।
वेसे तो हमारी माँ “अंबे माँ” की अनेकों कहानिया प्रचलित है ओर हम सबने हमारी ” दुर्गा माँ” की बोहोत सारी कहानिया सुनी है। उसमे से मे आज आपको एक कहानी – कथा सुनाने वाला हु,
हाथ जोड़ कर प्रेम से बोलो ” जग जननी की जय “
एकबार ध्यानु भक्त अपनी भक्त मंदरी के साथ माँ के दर्शन के लिए जा रहे थे, उनके साथ कुछ चिजे घटित होती है, साथ साथ मे माँ के चमत्कार जी घटना भी होती है जो मे आज आपके सामने रख रहा हु।
सब भक्त मिलके माँ के दर्शन के लिए जा रहे थे लेकिन उन भक्तो का रासता अकबर ने रोका। अकबर बड़ी आवाज मे बोला की -तुम सब कहा जा रहे हो? किसकी तुम जयकार लगा रहे हो?
ध्यानु भक्त प्रेम से बोले हम सब ” ज्वाला माँ ” के दर्शन करने जा रहे है, ज्वाला माँ सर्व शक्तिमान है – उनके चमत्कार से बिना घी-तेल के उनका दिया प्रज्वरित होता रहता है।
ये बाते सुन कार अकबर आगबबूरा हो जाता है ओर बोलता है इस संसार मे मेरे से शक्तिसारी कोई नही है, इस पर ध्यानु माँ के भक्ति मे ओर्त्प्रोत होके बोलते है के माँ सर्व शक्तिमान है, भूत, वर्तमान, भविस्य सब माता के आधीन है।
ये सुन कर अकबर बोलता है, मेरे अलावा कोन है शक्तिमान, मेरे बराबर नही है दूजा कोई भगवान। मुजे तुम अपनी माता का चमत्कार दिखलाओ – अगर तुमने एसा नही किया तो दूंगा तुमहे में सजा!
अकबर ने घोड़े की गर्दन काट दी, ओर बोला अब तुम अपनी माता को बुलाओ – कटा हुआ शिर वापस लगवाओ। अगर तू घोड़े की गर्दन नही जोड़ पाया तो बीच सभा मे अपनी गर्दन तू कटवाएगा।
अकबर की बात सुन कर ध्यानु ने विनम्र से कहा, मे इस काम के लिए कुछ दिन की मोहरत चाहता हु – तब तक धोड़ेका शरीर ओर गर्दन सुरकसीत रखवा दीजिए, मे माँ के दरबार मे जा कर माँ के चरणों मे बेठ कर धोड़े की गर्दन जोड़ने की प्राथना करूंगा।
अकबर हर हार मे माँ की शक्ति को आजमाना चाहता था इसलिए सब व्यवस्था करवा देता है।
ध्यानु ओर सब भक्त ज्वाला माँ के दरबार पोहोच जाते है। माँ के चरणों मे बेठ कर कहते है – बिनती मेरी सुनलो माता रख लो मेरी लाज। हे माँ भवानी मे अपने वचनो की लाज मांग रहा हु आज, कटे हुए घोड़े की गर्दन जोड़दो माँ – अहंकार अकबर का सारा आज तोड़दो माँ। हे माँ सच्चे मन से की हे भक्ति सदा तुम्हारी चमत्कार दिखाके रख लो लाज हमारी माँ। वरना प्राण त्याग दूंगा ये सत्य बताता हु।
पूजा, आराथना , बिनती करते हुए कई दिन बीत जाते है दोस्तो पर माता ने ध्यानु भक्त की पुकार नहीं सुनी – तब ध्यानूने अपनी गर्दन तरवार से काट कर माँ के चरणों मे अर्पित कर देते है। यह देख कर माँ तुरंत प्रकट हो जाती है ओर दोस्तो ध्यानु की गर्दन शरीर से जोड़ देती है ओर उधर घोड़े के गर्दन भी जुड़ जाती है। ऐसा चमत्कार देख कर अकबर हेरान हो जाता है।
ज्वाला माँ की शक्ति को अकबर आजमाता है जलती ज्योत पर लोहे की चादर रखवाता है- बुज ना सकी वो ज्योत जर उथी ज्योत चादर के उपर + देख कर अकबर हेरान हुआ। लेकिन अहंकार कुछ ऐसा उसके शर चड जाता है ज्वाला जी की ज्योत पर वो पानी भरवाता है – जर उथी ज्योति पानी मे ज्वाला माई की + आखे फटी की फटी रह गई अकबर की ये देख।
ये देख अकबर का अहंकार चूर चूर हो जाता है ओर माता के चरणों मे शीश जुकाता है, सोने का छतर चड़ाता है। – उसके मन मे अभिमान आजाता है की देखो मेने माता को सोने का छतर चड़ाया है, उस ही वक्त वो सोने का छतर अजीब सी धातु मे परिवर्तित हो जाता है – जिसका पता आज तक नही चल पाया है की ये किस धातु का है।
” सच्चे मन से करो आराधना शेरावाली की, कृपा बरसे की आँगन मे महेरावाली की। “