शिव की जय हो। ( shiv ) जय शिवशक्ति। ” महा शिवरात्री। “
वासुकिनाग ओर शिवजी की कहानी – शिवजी के गले लिपटे नाग की suni unsuni kahani – मेने शिवजी और उनके वासुकिनाग के बारे मैं कहानी लिखी है जो आप यहा क्लिक कर के पढ़ सकते है।
मेने अपने suniunsunikahani साइट पर शिव-शक्ति की कहनी भी लिखी है जो यह है – खेदूत परिवार ओर शिव-शक्ति की कहानी = जिसमे शिव-शक्ति ने एक खेदुत परिवार की मदद की है और उसे सुख-समृद्धि दी।
महा शिवरात्रि तारीख 18 – फ़रवरी, 2023 को है।
आज मैं आपको शिवरात्रि से जुड़ी 2 कथाऐ सुनाता हु। लेकिन सबसे पहले आपको शिवरात्रि की बोहोत बोहोत शुभ कामना ए। भगवान आप सब की इच्छाए पूरी करे और आपके परिवार को निरोगी रखे।
1. पहली कथा है शिवविवाह की है यह कथा ‘श्रीरामचरितमानस’ और ‘श्रीमदेवीभागवतमहापुराण’ मे मिलती है। – इस कथा से अनुसार एक बार शिवजी ने अपने आराध्य श्रीराम का परिचय दिया था – माँ सती को भ्रम हो गया था की ऐसा केसे हो सकता है की निराकार भगवान साकार हो जाए और साकार हो भी गया तो अपनी स्त्री को ढूंढ रहा है वो तो अंतर्यामी है उनको तो पता होना चाहिए की उनकी पत्नी कहा है – शंकर जी उन्हे समजाते है, सती जी नहीं मानती है और राम की परीक्षा लेने जाती है और खुद माता सीता का रूप लेती है।
वहा राम जी उन्हे पहेचान लेते है और बोलते है की माताजी , पिताजी किधर है। यह देख माता सती को पता चल जाता है की यह शिवजी के आराध्य ही है – और फिर सती जी वापस आती है। यह सब देख शिवजी ने मनोमान माना की सती ने माता सीता का रूप धारण किया है अब इस जन्म मे तो पति पत्नी का संबंद नही रह सकता। – मनोमान मेही सती को त्याग दिया था।
दर्क्ष जो सती के पिता थे, वो एक दिन यग्न करवा रहे थे, लेकिन शिवजी को नही बुलाया था। सतीजी जिद करने लगी की मुजे भी जाना है तो शिवजी ने कहा की थीक है जाओ – गनो को साथ भेजा। फिर वहा बहनो ने सती जी से अच्छे से बात नही की लेकिन उनके माँ ने सती का आदरसत्कार किया। लेकिन वहा पर शिवजी का आसन नही रहता है तो वह अपने पति का अपमान समज कर वहा पर अपने आपको योग अग्नि मे भस्म कर देती है। – इसके बाद राम स्वयं गए थे शिवजी के पास ओर कहा था की पसताव आएगा शादी के लिए तो हा कर दीजिए गा।
इसके बाद सती , माँ पार्वती का अवतार लेके आती है पिता हिमनरेश और माता मेना के घर में – उसके बाद जब नौ योग्योंसूरो ने जब माता पार्वती जी की परीक्षा ले रहे थे तब माता पार्वती जी ने कहा था की मे शादी करूगी तो शिवजी से नही तो अंतकाल तक कूवारी रहु गी।
ऐसा जवाब मिलकल शिवजी का विवाह तय हुआ और जिस दिन शिवजी का विवाह हुआ उस दिन महा शिवरात्रि का पर्व मे मनाई जाती है।
2. अब दक्षिण भारत मैं जो कथा प्रचरित है वह कथा ऐसी है की – हर एक ब्रह्मांड मे एक ब्रह्मा विष्णु महेश , अन्नत ब्रह्मांड है तो अन्नत ब्रह्मा विष्णु महेश होते है – इसी सभी अन्नत ब्रह्मांड के एक महा विष्णु और एक सदा शिव होते है। यह जो सदा शिव है वो सदा रहते है, पूरा ब्रह्मांड सदा शिव मे जाके लिन हो जाते है लेकिन शिव किसी में लिन नही होते वो सदा ही रहते है।
तो एक प्रसंग आता है जिसमे ब्रह्मा और विष्णु मे चर्चा होती है की हम मे से बड़ा कोन है तो शिवजी ने एक बड़ा खंबा प्रकट करते है और ब्रह्मा को कहा की आप आदि देखो और विष्णु जी को कहा की आप अंत देखो। दोनों जाते है लेकिन किसी को ना आदि पता चलता है और न तो अंत।
यह जो प्रकरण है वह महा शिवरात्रि के दिन हुआ था, इसलिए महा शिवरात्रि का बड़ा महत्व है।
इसदिन कुछ भक्त लोग रात भर कीर्तन करते है तो कुछ भक्त लोग उपवास करते है। = उपवास का मतलब होता है की ‘उप’=समीप(निकट) और ‘वास’=निवास ,मतलब की भगवान के निकट निवास करना।
दोस्तो, महा शिवरात्रि व्रत कथा है जो एक सच्ची कहानी है जो आप ” महा शिवरात्रि व्रत की प्रोराणिक कथा ” इस लिंक पर जाके पढ़ सकते हो।