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महा शिवरात्रि व्रत की प्रोराणिक कथा

भक्तो, महा शिवरात्रि आने वाली है, इस महान दिन की और हमारे शिवजी के महाशिवरात्री व्रत की एक प्रोराणिक कथा है जो मे आज आपको बताने वाला हु। आप सब को महा शिवरात्रि की बोहोत बोहोत शुभ कामनाए।

प्रोराणिक काल मे एक वन मे एक शिकारी रहता था। जिसका नाम गुहदृव था। उसका परिवार बड़ा था। वह प्रतिदिन वन मे जाकर जानवरो को मारता और अपना घर चलाता। एक दिन उसके माता-पिता और पत्नी ने उससे खाने की मांग की – फिर वह शिकारी घनुष ले कर वन की ओर चल पड़ा = उस दिन महा शिवरात्रि थी, जो यह शिकारी को पता नही था।

पूरा दिन निकल गया था उसे कुछ भी नही मिला, शाम का समय हुआ। वह सोचने लगा की में क्या करू, कहा जाऊ ‘आज तो कुछ नहीं मिला घर में जो बच्चे है, माता-पिता और पत्नी है उन सबकी क्या दशा होगी, मुजे शिकार करके ही घर जाना चाहिए। – ऐसा सोच कर शिकारी जलाशय के समीप पहोचा। और सोचा की यहा पानी पीने के लिए कोई ना कोई जीव अवश्य आएगा उसे मार कर – उसे साथ ले कर प्रसन्नता से जाऊगा।

ऐसा सोच कर वह शिकारी एक बेल के पेड़ पर चड़ गया और वही जलाशय से जल ले कर बेथ गया। और वह राह देखने लगा की कब कोई जीव आएगा और कब में उसे मारूगा। – उस बेल के पेड़ के नीचे सूके पत्तों के नीचे एक शिवलिंग था, जो सूके पत्तों के नीचे होने से दिखाई नही दिया ओर शाम का समय था जिसके वजे से उजाला भी नहीं था तो उस शिकारी को वह शिवलिंग दिखाई नहीं दिया।

रात का पहला पेहल बीतने के पहेला एक हिरनी वहा पानी पीने के लिए आई। उसे देखते ही शिकारी ने धनुष पर बान साधा, ऐसा करने से उसके हाथ के धक्के से कुछ बेलपत्र और जल की बुँदे नीचे शिवलिंग पर आ गिरि। ‘अनजाने मेही सही लेकिन शिकारी की महा शिवरात्रि की रात पहले पेहल की पूजा हो गई। – इसी आवाज के कारण हिरनी ने ऊपर देखा तो उसे वह शिकारी दिखा।

हिरनी कापते हुए शिकारी को बोला की मुजे मत मारो! शिकारी ने कहा, ‘में और मेरा पूरा परिवार भूखा है इस लिए में तुम्हें नही छोड़ सकता’। हिरनी भयभीत हो कर शिकारी से जीवन दान की याचना करने लगी। हिरनी बोली, ‘मेरे छोटे छोटे बच्चे है वह मेरा वापस लोटने का इंतजार कर रहे है, में उन्हे अपने पति को सोप कर आती हु।, मेरा विश्वास करो मे जूथ नही बोल रही, अगर में नहीं लोटी तो वो श्राप मुजे लगे जो विश्वासगाति और शिवद्रोही को लगता है।’ विश्वास दिलाने के बाद शिकारी ने उसे जाने दिया।

थोड़े समय के बाद शिकारी ने देखा की वहा एक हिरण आया है, उसे देख शिकारी ने अपने धनुष पर बान साधा और फिरसे कुछ बेलपत्र और जल की बुँदे नीचे शिवलिंग पर आ गिरि। इस तरह शिकारी की दूसरे पेहल की पूजा भी हो गई। – पत्तों की आवाज सुन कर हिरण ने देखा की उपर शिकारी बेथा है। और दर कर पूछा की तुम यह क्या कर रहे हो! मारो मत! में घर पर अपने बच्चो को छोड़ कर आया हु मुजे इतना समय दो की अपने बच्चो को धेरै और अपनी पत्नी को दे कर आऊ। – हिरण ने श्राप और पाप को अपने सिर पर लेने की बात की , जिसके वजे से शिकारी ने उसे जाने दिया।

फिर हिरण घर गया और अपनी हिरनी को अपनी बात बताई तो हिरनी ने भी बताया की मे भी वचन दे कर आई हु। – हिरण ने हिरणी से कहा माँ के बिना बच्चो का क्या होगा तुम बच्चो के साथ यही रहो मे जाता हु शिकारी के पास। – लेकिन हिरणी ने मना करके कहा की नही, पति के बिना पत्नी और बच्चो का क्या हाल होगा तुम बच्चो के साथ रहो मे जाती हु शिकारी के पास। दोनों मेंसे कोई मानता नहीं है इसके वजे से, फिर हिरण और हिरणी दोनों अपने बच्चो को दूसरे हिरण-हिरणी को दे कर और बच्चो का घ्यान देने का बोल कर दोनों शिकारी के पास जाते है।

बच्चो ने सोचा की जेसा माता-पिता के साथ होगा वेसा ही हमारे साथ भी हो – तो बच्चे भी हिरण-हिरणी के साथ शिकारी के पास जा पहोचे। सब को आता देख शिकारी ने वापिस धनुष पर बान साधा और फिर से उसके हाथ के वजे से कुछ बेलपत्र और जल की बुँदे नीचे शिवलिंग पर आ गिरि – जिससे शिकारी की तीसरे पेहल की पूजा भी हो गई।

हिरण ने कहा हम सब यहा उपस्तीत है आप हमे मार कर अपने परिवार का पेट भरिए। भगवान शंकर की तीन पेहल की पूजा से शिकारी को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह सोचने लगा की मुजसे तो यह अज्ञानी पशु ही धन्य है। परोपकार करने के लिए अपना शरीर दे रहे है, और में एक मनुष्य का रूप पा कर भी एक हतियारा बन गया हु। – यह सब सोच कर शिकारी बोला, ‘तुम सभी धन्य हो, तुम्हारा जीवन सफल है, जाओ में तुम्हें नहीं मारता, तुम निर्भय हो कर यहा से चले जाओ।’

शिकारी का ऐसा कहते ही स्वयं भोलेनाथ वहा प्रकट हो कर शिकारी को दर्शन दिये। और भोले बोले में तुमसे प्रसन्न हु तुम मुजसे मनचाहा वर मांगसकते हो। यह देख-सुन कर शिकारी उनके पेरो मैं गिर गया और आखो से आशु आने लगे। शिवजी ने उसे सुख-समृद्धि का वरदान दे कर ” गुह “ नाम प्रदान किया और भगवान शंकर ने कहा, ‘ त्रेयतायुग मैं भगवान राम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे, इससे तुम्हें मोक्ष मिलेगा।

यह है महाशिवरात्री की पावन महिमा की एक छोटी सी कहानी। भक्तो, महाशिवरात्री में शिवजी की थोड़ी सी सेवा, पूजा, भक्ति से शिव बोहोत खुश होते है और भक्तो पर अपने आशीष बरसाते है। ” हर हर महादेव “

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Bhavin Panchal

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