हनुमानजी जो रामजी जे सबसे बड़े भक्त है, उनसे बड़ा भक्त दुनियामे कोई नही है। जिनके काममे राम हो, जिनकी बात राम से चालू हो, जो रामजी के लिए ही जिए, जिनके लिए राम नाम से बड़ा कुछ नही। उनकी बात मे आज आपसे करने वाला हु। तो दोस्तो बोलो ‘जय श्री राम’।
रामजी से मिलने के पहेले हनुमान जी इतने बड़े भक्त नही थे। वे हनुमानजी अपनी मस्ती मे, अपनी ही धून मे रहेते थे। `हा लेकिन वे पहेले भी उतने ही अच्छे थे जो अभी है, उनको जब भुलाओ तब वो आते है ओर हमे मदद करते है। ये बात तो हनुमान चालीसा मे भी कहिगई है की,
ओर देवता चित न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख कराई॥
संकट कटे मिटे सब पिरा। जो सुमिरे हनुमत बलबीरा॥
हनुमानजी जबसे रामजी से मिले तबसे वो जय श्री राम के नाम का जाप दिन-रात करने लगे, रामजी की सेवा मे ही अपना पूरा जीवन दे दिया। इसलिए ही तो राम जहा भी जाते हनुमानजी उनके पीछे पीछे चले जाते, ओर उनके सभी काम मे उनकी सहाय करते। आपको पता ही होगा रामायण मे हनुमानजी ने रामजी साथ रहेके कितने कार्य किए है। `सीता मैया को वापिस लाए, लंका पति रावण का वध किया, हनुमानजी ने तो पूरी लंका ही जलादी थी, ओर बोहोत कुछ।
चलो तो आज की कहानी शरू करते है,
मुजे मालूम है की आप सबने रामजी की रामायण पढ़ी होगी या सुनी होगी, उसके एक भाग मे एसा था जब रामजी ने अपने भक्त हनुमानजी को सीता मैया को ढूंढाने केलिए भेजा था। तब हनुमानजी ने सीता मैया को यहा ढूंढा, वहा ढूंढा, समुंदर मे ढूंढा, आकश मे ढूंढा लेकिन सीता मैया उन्हे नही मिली। तब वे सात समुंदर पार श्रीलंका मे पहोचे ओर छोटा सा रूप लेके उन्हे लंका मे यहा-वहा ढूंढाने लगे – तब कही जाके उन्हे सीता मैया एक पेड़ के नीचे बेथी हुई मिली।
– वे उनसे दूर छुपके उनकी, रावण की ओर अन्य राणीओ की बाते सुनने लगे। `अब आप सोच रहे होंगे की उस समय पर कैमरा, फोटो जेसी कोई चीज़ नही थी तो हनुमानजी ने सीता मैया को केसे पहेचाना। एसा ही हनुमानजी को लगा की मेने तो कभी सीता मैया को नही देखा तो उन्हे केसे पहेचानु? इसलिए हनुमानजी पूरी लंका मे सीता मैया को ढूंढने के लिए कई-सारी स्त्रीया, राणीयो को देखा लेकिन उनमे से उन्हे कोई सीता मैया है एसा नही लगा। तब वो लंका के छोटे जंगल मे आए वहा एक पेड़ देखा ओर उसके नीचे एक स्त्री को देखा उन्हे लगा की ये स्त्री अकेली है पूरे राजय मे ओर काफी संस्कारी स्त्री लग रही है, लेकिन हनुमानजी को इस बातका कोई पुरावा नही था की ये सच मे सीता मैया है, इसलिए वह उनके सामने नही गए ओर उन सबकी बाते सुनने लगे।
थोड़ा समय हुआ रावण ओर उसकी राणीया सीता मैया को छोड़ कर अपने महल के तरफ चले। हनुमानजी ने सीता मैया के आजु-बाजु कोई नही है ओर वे अकेले देख कर उनके सामने गए ओर उनको बोला की `मैया मे हनुमान श्री राम का भक्त उनहोने मुजे यहा आपको ढूंढने के लिए भेजा है ओर ये रामजी की अंगूठी जो उन्होने मुजे दी है आपको देने के लिए। – एसे सीता मैया से बाते करके हनुमानजी वापिस रामजी के पास जा रहे थे,
अब ध्यान से देखना की हनुमानजी ओर रामजी के बिचमे क्या बात हुई, `हनुमानजी जब सीता मैया से मिलके वापिस आ रहे थे तब रास्ते मे वे ज़ोर-ज़ोर से बोल रहे थे “ढूंढ लिया सीता मैया को मेने, ढूंढ लिया सीता मैया को मेने” ये हनुमानजी के बोल रामजी ने सुन लिए ओर जब हनुमानजी रामजी के पास आए तब रामजी ने हनुमानजी से कहा हनुमान तुम एसा क्यू बोल रहे थे की “ढूंढ लिया सीता मैया को मेने” तुम्हें तो एसा बोलना चाइएना की “मेने ढूंढ लिया सीता मैया को”!
अब भक्त हनुमान ने श्री राम को क्या जवाब दिया देखना – इससे आप समज जाओगे की अभिमान को हमेसा पीछे रखना चाहिए। `हनुमानजी ने रामजी से कहा की ‘प्रभु “ढूंढ लिया सीता मैया को मेने” इसमे मेने ‘ढूंढ लिया’ को पहेले बोला जिससे आपकी चिंता कम हो जाए, फिर मे ‘सीता मैया’ का नाम लिया जिससे आपकी चिंता खतम हो जाए ओर आखिर मे कही जाके मेने मेरा नाम लिया की ‘मेने’ – इसमे अभिमान लाने वाला शब्द अंत मे है ओर जब ‘मेने’ अंत मे है तो मुजमे अभिमान कहासे आ पाएगा।
“ढूंढ लिया सीता मैया को मेने” इसमे आपने देखा की पहेले हनुमानजी ने ‘ढूंढ लिया सीता मैया को’ बोला जिससे रामजी की चिंता खतम हो जाए ओर फिर अंत मे जाके कही अपने बारेमे बोला। जिससे हनुमानजी को थोड़ासा भी अभिमान जेसा नही लगा। `एसे ही आपको भी अभिमान को पीछे रखके किसी की मदद करनी चाहिए।
आपभी इसपे अपना कोई विचार हमे comment box मे बताना। जिससे मे ओर कई अन्य व्यक्ति आपका विचार पढ़ पाए।
2 thoughts on “अभिमान केसे छोड़ा जा सकता है हनुमानजी से सीखो”