Hello दोस्तो, मे आज के पोस्ट के माध्यम से ये समजाना के कहना चाहता हु के भगवान है वो केसे काम करते है ओर वो हमारे साथ केसा व्यवहार रखते है। मतलब की हम उनके साथ जेसा रहते है, उनके लिए जेसा करते है, उनकी सेवा जिस प्रकार करते है – उस सब चीज़ को भगवान देखके हमे हमारी आशा के अनुकुर ओर हमारी सेवा जेसा ही हमे फल देते है।
अभी तक आप कुछ समजे नही होंगे लेकिन कोई बात नही – आइए दोस्त हम ये बातों को विस्तार मे ओर कुछ कहानी सुन कर समजते है।
देखो दोस्तो समजो की आप रास्ते मे चलते हुए जा रहे हो ओर आपके पास एक इंसान आ कर मान दे कर आपसे बात करता है तो दोस्तो आप इस समय क्या करेंगे, आप भी उस इंसान को मान दे कर ही बात करेंगे। लेकिन कोई इंसान आपको गाली दे कर, ऊंची आवाज मे, अच्छे से बात नही करता तो आप भी उसके साथ वेसे ही बात करेंगे ना।
दोस्तो भक्ति के फल तो भगवान अलग अलग प्रकार से देते है लेकिन आप उनकी जेसी सेवा करते हो वेसि ही भगवान भी आपकी सेवा करते है। जेसे की आप भगवान का ध्यान रखते हो की मेरे “कान्हा” को क्या पसंद है, उनको कोई तकलीफ तो नही हो रही, आपको ऐसा लगता है की जो मे भक्ति करुगा तो “कान्हा” को अच्छा लगेगा तो आप भक्ति करते हो मतलब की उनका आप ध्यान रखते हो = तो वेसे ही भगवान “कान्हा” भी आपका ध्यान रखते है बस आपको समजने की देरी है, काफी कम लोग को उनकी सेवा दिखती है।
रामायण की एक कहानी कहता हु दोस्तो, मालूम है एक घटना होती है जिसमे लक्ष्मण को बाण लगता है तो फिर हनुमान जड़ीबूटी लेने जाते है तो रास्ते मे हनुमान जी को राम के भाई भरत ने देख लीआ तो अब भरत को लगा की ये कोई तो जा रहा है कोन है – तो उन्होने हनुमान को बाण मारा ओर भरत ने भी राम जेसे सादे कपड़े पहने हुए थे तो हनुमान को लगा की ये कोई साधू हो सकता है तो हनुमान ने वो बाण को मान देके खा लिया फिर नीचे जमीन पर आए तो भरत ने पूछा की तुम कोन हो ओर कहा जा रहे हो? हनुमान जी ने कहा की मे भगवान राम जी का दूत हु ओर उनके भाई लक्ष्मण को बाण लगा है तो उनके लिए मे जड़ीबूटी लेने जा रहा हु।
ये सुन कर भरत ने कहा की जरूर राम जी तकलीफ मे है तो हनुमान को कहा की तुम चलो हमारे राजय मे सब तुम्हारी राह देख रहे है – तो हनुमान ओर भरत गए राजय मे, ओर हनुमान ने ये बात सब को बताई सब दुखी हो गए, राम जी की माँ, ओर सब लोग – फिर लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला आई हनुमान ने ये बात उर्मिला को बताई तो उर्मिला सुन कर खुश हो गई, तो हनुमान जी ने उर्मिला को पूछा की आप क्यू खुश हो रहे हो, सब ये बात सुन कर दुखी है ओर आप उनकी पत्नी हो कर खुश क्यू हो रहे हो = तो वाह दोस्तो उर्मिला ने क्या जवाब दिया। उर्मिला कहती है की, हनुमान लक्ष्मण जी ने जिनके गोद मे सर रखा है ना वो स्वयं नारायण है ओर शेष नाग के गोद मे हमेसा नारायण सोते है लेकिन देखो हनुमान शेष नाग की सेवा देखो आज खुद नारायण ने अपनी गोद मे शेष नाग – लक्ष्मण को सुलाया है : तो मे खुश ना हौ तो फिर क्या करू।
फिर ये सुन कर हनुमान कहते है की क्या बात है माते आपने सही बात कही है, अब माता मे चलता हु अगर सूर्यदय हो जाएगा तो फिर लक्ष्मण को जगाना भारी पद जाएगा ‘तो सुनो दोस्तो उर्मिला ने क्या कहा, उर्मिला कहती है की हनुमान चिंता मत करो वो नारायण है ओर तूम जिस सूर्य की बात करते होना उनके भी नाम मे नारायण आते है “सूर्यनारायण” – वो सूर्य भी नारायण की आगना के बिना सूर्यदय नही कर सकता – तुम हनुमान चिंता मत करो ओर आराम से खा-पी कर जाना।
दोस्तो मे इस कहानी से कहना ये चाहता हु की नारायण ने शेष नाग की गोद मे आराम किया है तो देखो नारायण ने भी उनको अपनी गोद मे आराम करवाया – उसकी भक्ति-सेवा का फल देखो केसे दिया।
तो दोस्तो आप भगवान के साथ जेसा करते हो भगवान भी आपके साथ वेसा ही करते हे – आपकी जेसी भक्ति-सेवा वेसा ही वो आपके लिए जो अनुकुर है ओर जो जरूरी है वो आपको देते है (लेकिन थोड़ा समय लेते है भगवान)।

बस दोस्तो मेरे को बस इतना ही कहना था, लेकिन चलो एक-दो कहानी कह कर मेरी बात पूरी करता हु की आप जेसा उनको देते – करते – सोचते हो वो भी वेसा ही आपके साथ करते है। ओर कहते हैना की जेसा भक्त वेसा उसका भगवान।
राम जी की एक ओर कहानी मे कहता हु, मालूम है सबरी के बोर खाने राम आए थे। वो जो सबरी थी ना दोस्तो वो पूरी ज़िंदगी राम के लिए बोर लेकर आती थी ओर चख कर मीठे बोर रखती थी की मेरे राम आएंगे ओर मेरे बोर खाएँगे – तो देखो दोस्तो उस डोसी की जेसी भक्ति-सेवा ओर इच्छा वेसे ही राम उनके सामने आए ओर उनके आधे खाए हुए बोर खाए।
एक अंतिम कहानी-बात कहता हु ओर मेरी बात पूरी करता हु – तो ये बात कान्हा की है, मालूम है कन्हैया का सखा कोन है हा सही कहा सुदामा। मालूम है दोस्तो सुदामा है ना पूरी जिंदगी कान्हा हो अपना सबसे बड़ा सखा मानते थे ओर कान्हा के साथ ही रहा करते थे ओर उनकी बाते माना करते थे।
तो कान्हा को सखा सखा मान मान कर सुदामा ने उनकी भक्ति की “ओर उनकी इच्छा थी की एक बार मुजे अपने सखे कान्हा को मिलना है तो जब वो द्वारका आए तो सब के सामने जब कान्हा ने सुदामा को गले लगया ओर सबने पूछा की ये कोन है तो आपको मालूम है कान्हा ने क्या कहा उनहो ने कहा की ये जो सुदामा है ना वो मेरा सबसे बड़ा सखा है।
देखो दोस्तो सुदामा की भक्ति-सेवा – इच्छा थी कान्हा सखा को मिलने की तो देखो कान्हा मतलब की सुदामा का सखा सुदामा से मिला भी ओर दुनिया मे कोई भी पूछता है की सुदामा कोन था तो सबसे पहले मुह पे आता है की वोह कान्हा का सबसे बड़ा सखा है।
तो दोस्तो मे कहना ये चाहता हु की भगवान भगवान है उनके लिए कोई चीज़ छोटी-बड़ी नही है, उनके लिए कोई चीज़ असंभव नही है – बस दोस्तो आप अपने पूरे विश्वास से उनकी सेवा-भक्ति करे हा हा वो थोड़ा समय लेते है लेकिन आते जरूर है ओर सब ठीक कर देते है।
वेसे भी स्कूल मे हमे 10 क्लास मे से 11 क्लास मे जाना हो तो टीचर हमारी परीक्षा तो लेते ही है, अभी स्कूल मे ऐसा है तो जीवन मे भी परीक्षा तो होगी ही – भगवान भी हमारी परीक्षा लेते है (लेकिन दोस्तो एक सीक्रेट बताउ इस भगवान की परीक्षा को सफर होने के लिए – आपको उनके पास से ही ताकत , शक्ति मांगने की, फिर देखो आप उनकी परीक्षा मे सफर।)