हनुमानजी की कई स्तुतिया प्रसिद्ध है पर उसमे सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है हनुमान चालीसा। उसका ऐक कारण ये भी है की इसकी भाषा सरण है ओर कुछ ही दिनो के पाठ करने पर ये हमको याद हो जाती है।
नमस्कार दोस्तो, ये रही हनुमान चालीसा और हनुमान जी के 12 नाम आपके सामने,
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारी।
बरनऊं रधुबर बिमल जसु, जो डायकु फल चारी।।
बुद्धिहिन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥
चोपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥ १
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥ २
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥ ३
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥ ४
हाथ बज्र ओर घ्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥ ५
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥ ६
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥ ७
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥ ८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ ९
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥ १०
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये॥ ११
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ १२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥ १३
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥ १४
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥ १५
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना।
राम मिलाय राज पद दीह्ना॥ १६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥ १७
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ १८
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥ १९
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ २०
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ २१
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥ २२
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तै काँपै॥ २३
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥ २४
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ २५
संकट तै हनुमान छुडावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ २६
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥ २७
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥ २८
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥ २९
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥ ३०
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥ ३१
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥ ३२
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥ ३३
अंतकाल रघुवरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥ ३४
और देवता चित न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥ ३५
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ ३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥ ३७
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥ ३८
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ ३९
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥ ४०
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
हनुमानजी के बारा नाम :
- जय हनुमान
- जय अंजनी सुत
- जय वायु पुत्र
- जय महाबली
- जय रामेष्ट
- जय फाल्गुनसखा
- जय पिंगाक्ष
- जय अमित विक्रम
- जय उदधि क्रमण
- जय सीता शोक विनासन
- जय लक्ष्मण प्राण दाता
- जय दश ग्रीव दर्पहा