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5.अच्छी नौकरी मिल गई! वैभवलक्ष्मी माँ का चमत्कार

‘ वैभवलक्ष्मी व्रत ‘ – जय लक्ष्मी माँ

विमला बहन का पुत्र गजेश। एम.कॉम. में फ़र्स्ट क्लास आया। घर में खुशियाँ छा गई। दूसरे ही दिन से गजेश ने नौकरी की खोज शुरू कर दी। इम्प्लॉइमेंट में नाम लिखा दिया था। घर वालों को लगता था की इतने अच्छे मार्क्स है, नौकरी तो मिल ही जायेगी। खुद गजेश को भी ऐसा लगता था। किन्तु उसका अनुमान गलत निकला। गजेश के पास L.G.V.G. की डिग्री न थी। आप समझ गये न? लागवल की डिग्री। उसके कोई चाचा-मामा अच्छी पोस्ट पर न थे।

नौकरी ढूंढते-ढूंढते एक साल में गजेश थक सा गया। मध्यम कुटुंब में बेकार जीते जी मरने बराबर था। घर में भी थोड़ी-थोड़ी चर्चा होने लगी।

गजेश की समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाय!

एक दिन विमला बहन को पड़ोसन मीना बहन अपने घर बुला गई। उसने ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ किया था, उसकी उधापन विधि कर रही थी। मीना बहन ने सात बहनो को कुमकुम का तिलक कर के ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ की एक-एक पुस्तक दी और खीर का प्रसाद दिया। सब बहनो में आपस-आपस में ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ की महिमा की बाते हुई। थोड़ी ही देर में सब अपने-अपने घर चली गई।

विमला बहन भी ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ की किताब लेकर घर आई। घर का काम निपटा कर वे किताब देख ने लगी। किताब में दिये ‘श्रीयंत्र’ देखते ही उन्होने अपने मायके का वैभव याद आया। उनके पिताजी तिजोरी में ‘श्रीयंत्र’ रखते थे। वे कहते थे- ‘श्रीयंत्र’ लक्ष्मीजी का तांत्रित स्वरूप है। जहां ‘श्रीयंत्र’ होगा, वहा अवश्य लक्ष्मीजी का निवास होगा। विमला बहन ने भाव से श्रीयंत्र पर माथा टेका। बस! उनके मन में हलचल होने लगी। उनको ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ करने की हदय से प्रेरणा हुई।

उन्होने किताब के आगे देखा तो लक्ष्मीजी की विविध स्वरूप थे। उन्होने सब पर माथा टेका। तभी उनको याद आया की, ‘उनकी मम्मी कहती थी, ‘लक्ष्मीजी के विविध स्वरूपो के दर्शन करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है और वह घर में निवास करती है। उनके मायके में माँ लक्ष्मीजी के विविध स्वरूप की छविया थी। मम्मी रोज उनकी पुजा करती थी।

विमला बहन ने ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ करने का निर्णय किया।

उन्होने पूरी किताब पढ़ कर व्रत की विधि समझ ली। तभी गजेश आया। विमला बहन ने किताब बता कर उसे भी व्रत करने की सलाह दी। गजेश को माँ पर बहुत स्नेह था। वह माँ की बात कभी भी टालता न था। उसने माँ का मन रखने को ‘हा’ कह दी।

शुक्रवार आते ही माँ-बेटे ने साथ ही ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ ग्यारह शुक्रवार करने की मन्नत मानी और उसी शुक्रवार से व्रत करना शुरू किया।

शनिवार किया…रविवार किया… और सोमवार को गार्डन मिल से इंटरव्यू का लेटर आया। मंगरवार को वह इंटरव्यू के लिये गया। इंटरव्यू अच्छा गया। शुक्रवार को एपा इंटमेंट लेटर मिल गया गया। इस तरह गजेश को अच्छी नौकरी मिल गई।

घर में आनंद छ गया।

गजेश ने दुबारा इक्कीस शुक्रवार ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ करने की मन्नत मानी। ‘घनलक्ष्मी माँ’ की दया से गजेश को प्रमोशन मिलता ही गया और तेजी से वह बड़े ओहदे पर आ गया।

इस तरह ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ के प्रभाव से गजेश को अच्छी नौकरी मिल गई।

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Bhavin Panchal

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